घुग्घुस में फ्युलको रेल्वे कोयला साइडिंग हवा मे जहर घोल रहा

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घुग्घुस में फ्युलको रेल्वे कोयला साइडिंग हवा मे जहर घोल रहा



प्रदुषण से छाञ,मानव स्वास्थ्य का खतरा पशु,खेती फसले बर्बाद


 

घुग्घुस : क्षेत्र से कुछ किमी दूर पर शेनगांव,म्हातारदेवी मुर्सा ग्राम पंचायत क्षेत्र में फ्युलको रेल्वे साइडिंग प्रदुषण से स्कुली बच्चे,मानव स्वास्थ्य ,पशुप्राणी तथा किसान के फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।साइडिंग में कारखाना से लाएं गए लाखों टन काला धुल मिटटी मिश्रण हवा में जहर बनकर स्कूल छात्रा,मानव,पशु प्राणी,जान को धोका,फसलों को बर्बाद करके रख दिया है।
ग्रीष्मकाल के मौसम में हवा मे उडता धुल आजु बाजु के पुरे क्षेत्र तथा ग्रामीण,स्कूल छात्रा,फसलों,मानव,पशु प्राणी पर
प्रदूषण का व्यापक असर दिख रहा है। इसके अलावा इस क्षेत्र में रेल्वे साइडिंग से निकलने वाले जहरीले धुएं ने न केवल मानव जीवन को खतरे में डाल दिया है, बल्कि पशुधन और कृषि व्यवसायों को भी खतरा पैदा कर दिया है।इस मामले में कोई उपाय न किए जाने से मानव स्वास्थ्य,किसानों को भुखे मरने कि नौबत सामने आ सकती है।क्योकि रेल्वे साइडिंग के लिए जमीन पुरे पैतीस वर्ष के लिए सरकार से लिए पर ली गई है।इसमे कुछ जबरन हड़पने,कब्जा करने का मामला सामने आया है।
किसानों कि जमीन में बगैर पुछे अवैध उत्खनन भी किया गया है। किसान परेशान हैं। लोकप्रतिनिधि,शासकीय प्रशासकीय अधिकारी में कोई सुनवाई नहीं हो रही। उक्त समस्या से बेहाल किसान आत्महत्या करने के लिए साइडिंग संचालक को चेतावनी दे रखी है।आने वाले पैंतीस वर्ष में खेती और लाॅयड मेटल न्यु कालनी,जीडी गोयनका स्कूल छात्रा स्वास्थ्य पर बुरा असर हो सकता है।जिल्हा स्वास्थ्य विभाग और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण विभाग को रेल्वे साइडिंग से उड़ने वाले धुल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
रेल्वे कोयला साइडिंग से निकलने वाले धुएं से न केवल किसानों कि खेती ही नहीं बल्कि ग्रामीण में रहेनेवाले लोग प्रभावित हो रहे हैं। इसके आसपास के 5 से 7 गांव भी प्रभावित हैं। ग्रामीणों को अंतहीन कठिनाइयों और समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
रेल्वे साइडिंग के लिए बनाए गए मार्ग पर कुछ किसानों कि जमीन को हड़प लिया है।वही मार्ग पर कूछ जगह सरकारी योजना अंतर्गत बोरीग को जमीन में कुचलकर रख दिया है।
शहर,गांव में प्रदुषण के कारण विभिन्न बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है।
रेलवे साइडिंग में उड़ता धूल, प्रदूषण के कारण नागरिकों को अस्थमा,खुजली,दमा, खांसी ,टीबी,कॅसर,त्वचा रोग,पेट संबंधी रोग, दृष्टिदोष और बहरापन जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। उड़ते धुएं में मौजूद हानिकारक कण,शरीर में फेफड़ों को प्रभावित कर रही हैं।
यदि मनुष्य लंबे समय तक इस धुएं को अंदर लेते हैं तो इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। प्रदूषण किसान के पशुधन को भी प्रभावित कर रहा है। रेल्वे साइडिंग में कोयला परिवहन के कारण पशु आहार पर धूल जम जाती है। पालतू जानवर इस चारे को खाने से विभिन्न बीमारियाँ होकर उनकी मौत रही हैं।
इसके जिम्मेदारी रेल्वे साइडिंग के प्रायवेट मालिकों की है। इस बीच घुग्घुस में अव्यवस्थित उपायों को परेशान करने वाली तस्वीर रेल्वे साइडिंग में देखने को मिल रही है।
महाराष्ट्र प्रदुषण विभाग द्वारा दिए गए शासकीय दिशा-निर्देशों की अनदेखी की जा रही है। जिसका सीधा असर मानव जीवन,पशु प्राणी,खेती फसलो पर पड़ रहा है।लेकिन स्वास्थ्य विभाग और प्रदूषण विभाग तथा शासकीय प्रशासकीय अधिकारी कि गंभीर समस्या पर कार्रवाई करने हेतु कोई असर नहीं दिख रहा है।

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