जमीन अधिगृहण करने पर कोल इंडिया प्रति एकड़ के देगी 30 लाख

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जमीन अधिगृहण करने पर कोल इंडिया प्रति एकड़ के देगी 30 लाख



कोलकाता में हुई बैठक में बनी सहमति

चंद्रपुर . कोल इंडिया ने देश के सभीं कोल्फील्डस की खदानों के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के बदले किसानों को प्रति एकड़ 30 लाख रुपये देने को तत्वतः मंजूरी दी है. राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग अध्यक्ष हंसराज अहीर द्वारा बुलाई गई एक महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया. कोलकाता स्थित कोल इंडिया के मुख्यालय में अहीर की अध्यक्षता में 10 जुलाई को संपन्न हुई बैठक में पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव, कोल इंडिया के अध्यक्ष, कार्मिक निदेशक, सीएमडी, डीपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे. इस बैठक में पश्चिम बंगाल राज्य सरकार, कोल इंडिया, वेकोलि, ईसीएल, सीएमपीडीआईएल, एम्स, कल्याणी ब्रैथवेट आदि कंपनियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई. कोल इंडिया के साथ हुई इस बैठक में, वेकोलि और अन्य संस्थाओं के माध्यम से किसानों द्वारा अधिग्रहित भूमि के लिए प्रति एकड़ वर्तमान वित्तीय मुआवजा 2012 में निर्धारित होने के बाद से नहीं बढ़ाया गया है. इस विषय पर मुख्य चर्चा हुई. इस

मुआवजे को बढ़ाकर 30 लाख रुपये प्रति एकड़ करने का सुझाव अहीर ने दिया. इस पर, कोल इंडिया ने प्रति एकड़ मुआवजे में वृद्धि को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी और कहा कि इस संबंध में जल्द ही एक ठोस नीतिगत प्रस्ताव तैयार किया जाएगा. बैठक में अहीर की ओर से कोल इंडिया प्रबंधन को कई रचनात्मक सुझाव दिए गए. जिनमें परियोजना पीड़ितों की नियुक्ति के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में बदलाव करना और शैक्षिक योग्यता वाले लोगों के लिए भूमिगत खदानों में नियुक्ति अनिवार्य नहीं

करना, सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति की आयु सीमा 35 से बढ़ाकर 40 वर्ष करना और तकनीकी व उच्च शिक्षा प्राप्त परियोजना पीड़ितों के लिए सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति अनिवार्य नहीं करना आदि का समावेश था. बैठक में यह भी सुझाव दिया गया कि, वेकोलि में पोतियों और बहुओं को नौकरी देने में लैंगिक भेदभाव अवैध और अन्यायपूर्ण है, इसलिए समानता के आधार पर शीघ्र ही निर्णय लिया जाना चाहिए. कोल इंडिया ने इस सुझाव पर सकारात्मक भूमिका निभाने का आश्वासन दिया. चंद्रपुर जिले के वेकोलि

बल्लारपुर क्षेत्र में शिवनी, चिंचोली रिकोस्ट परियोजना के लिए पर्याप्त वित्तीय पैकेज प्रदान करने और बढ़ते प्रदूषण और कोयला परिवहन से होने वाली कृषि और अन्य नागरिक क्षति को रोकने के लिए प्रभावी उपाय करने तथा वित्तीय नुकसान की भरपाई के लिए नीति बनाने का आश्वासन भी दिया गया.

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