वेकोलि पैनगंगा खदान में कल प्रकल्पग्रस्तो का चक्काजाम आंदोलन
12 वर्ष गुजरने बाद भी अधिग्रहितो को मुआवजा नही मिला
घुग्घुस : वेकोलि वणी क्षेत्र के पैनगंगा कोयला खदान के लिए अधिग्रहित कि गई 743 हेक्टेयर जमीन में आठ परीवार से प्रकल्पग्रस्तो को वेकोलि प्रशासन कि ओर से 12 वर्ष गुजरने के बाद भी अभी तक प्रकल्पग्रस्तो को कोई मुआवजा नही मिलने से पिडीत प्रकल्पग्रस्तो ने अपने परीवार सहीत पैनगंगा परीक्षेञ मे 15 जुन से आमरण अनशन शुरू किया।
परंतु बीते तीन दिनो में वेकोलि प्रशासन तथा शासश,प्रशासन ,महसूल अधिकारी कि ओर से अधिग्रहित कि गई भुमी पर कोई जवाब नही मिलने से प्रकल्पग्रस्तो ने कल 18 जुन को पैनगंगा कोयला खदान परीक्षेञ में कोयला परीवहन रोककर चक्काजाम आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया है।
उक्त आंदोलन में बैठे प्रकल्पग्रस्तो का कहना है कि सन 2013 में वेकोलि प्रशासन ने पैनगंगा कोयला खदान परीयोजना के लिए मौजा दानोदा त, कोरपणा जि,चंद्रपुर से आठ परीवार मे सर्वे नं 41,42 का कुल 743 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित किया।
बताया जा रहा कि भुमी अधिग्रहण बिक्री करारनामा के समय वेकोलि प्रशासन ने किसानों से पडीत जमीन 6 लाख रु प्रति एकर गीली जमीन 8 लाख रु प्रति एकर के भाव से सौदा हुआ था। कुल राशि 1,95,2090 लाख होता है।यह भुगतान वेकोलि कंपनी ने प्रकल्पग्रस्तो को न देते हुए विश्वनाथ कर्णुजी सोनटक्के रा, साईबाबा वार्ड चंद्रपुर गैर प्रकल्पग्रस्त के बॅक खाता क्र 11014613386 मे चेक नं 205742 द्वारा जमा किया है।जो कि विश्वनाथ सोनटक्के वेकोलि कंपनी में बनावटी(झुठी) दस्तावेज जमा करवाकर प्रकल्पग्रस्त होने का दावा कर रहा है। जब प्रकल्पग्रस्तो ने भुमी न्यायाधीश नागपुर में सर्वोत्तम दावेदारी के लिए आवाज उठाई तो विश्वनाथ सोनटक्के के साथ नागपुर कार्यलय से जुडे कुछ न्याययिक जवाबदार व्यक्ति को अपने कार्य से सस्पेंड होना पड़ा। मामले में बताया जा रहा है कि मौजा दानोदा त, कोरपणा जि, चंद्रपुर जमीन सर्वे नं 41 में वामन मालेकर, शांताराम खंडाळकर,प्रविण वडस्कर, शंकर सपाट तथा सर्वे नं 42 में इंदु सपाट, भालचंद्र डाहुले, सुभाष वांढरे, मधुकर वांढरे,कुल आठ लोगों ने पंजीकृत जमीन कि खरीदी दि,1 अक्टूबर 2009 को किया था।
यह सभी जमीन का अधिग्रहण वेकोलि ने सन 2009 में कर लिया और प्रकल्पग्रस्तो से अधिग्रहित कि गई जमीन का लिखीत करारनामा दि,7 एप्रिल 2013 को हुआ। वेकोलि में जमीन अधिग्रहण होने की खबर जब विश्वनाथ सोनटक्के को पता चला तो उन्होंने वेकोलि कंपनी में झुठे दस्तावेज जमा करवाकर करोड रुपए हड़प करनें का इरादा बनाया और वेकोलि में दलाल बनकर सारे पैसे अपने बॅक खाता में जमा करवा लिया था।
वेकोलि कंपनी में जमीन अधिग्रहीत कि गई प्रकल्पग्रस्तो को 12/13 वर्ष गुजरने बाद भी भुमी मुआवजा तथा पैनगंगा परीयोजना में अभी तक नौकरी नही मिला। जिसके कारण प्रकल्पग्रस्त किसानों,परीवार पर भुखे मरने कि नौबत आ गई है। पैनगंगा कोयला खदान परीयोजना में अग्रीमेंट 7 एप्रिल 2013 को होकर 10 जुन 2009 को सेक्शन 4 लगा,5 जनवरी 2010 को सेक्शन 7 हुआ,29 अक्टूबर 2010 को सेक्शन 9 लगा था।वहीं 17 सप्तेबर 2011 को अंतिम में सेक्शन 11 लगाया था।
प्रकल्पग्रस्तो को 21 मार्च 2015 को नौकरी देने के लिए दस्तावेज के साथ आवेदन फार्म भराया। लेकिन अंतिम में 12/13 वर्ष गुजरने के बाद प्रकल्पग्रस्तो को कंपनी में न कोई नौकरी मिली और न कोई मुआवजा दिया है। जिसके कारण पिडीत प्रकल्पग्रस्तो ने 15 जुन से पैनगंगा कोयला खदान परीक्षेञ में वेकोलि कंपनी के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे।कल कोयला खदान परीक्षेञ में कोयला परीवहन रोककर चक्काजाम आंदोलन करने के लिए चेतावनी दी है।
जिसके समर्थन में खड़े होने के लिए वणी आमदार संजय देरकर ने प्रकल्पग्रस्त पेंडाल में उपस्थिति दर्शीई है।
वामन मालेकर- रा,डोर्ली,कुरई वणी, शांताराम खंडाळकर- रा,मुगोलि साखरा वणी, शंकर सपाट-धोपटाला राजुरा चंद्रपुर, शिवाजी गौरकर -विरुर गाड़े गांव, सुभाष वांढरे रा,आर्वी राजुरा, मधुकर वांढरे -रा,आर्वी राजुरा, भालचंद्र डाहुले -पांढरपौणी राजुरा,प्रविण वडस्कर -अंतरगांव कोरपणा अदी लोग बडी संख्या में आंदोलन में शामिल होने कि चेतावनी दी है।