गुप्ता पावर एनर्जी में 70 फिट चिमनी के ऊपर चढकर प्रकल्पग्रस्त किसानो का आंदोलन
103 प्रकल्पग्रस्त किसान मजदूर को कंपनी में नौकरी नही मिल रही।
घुग्घुस :
चंद्रपुर जिले घुग्घुस तहसील अंतर्गत उसगांव में प्रकल्पग्रस्त किसानों को गुप्ता पावर एनर्जी प्रा, लिमिटेड कंपनी में नौकरी से निकाल दिये जाने के कारण छे दिनों से आंदोलन पर बैठे आठ प्रकल्पग्रस्त किसान मजदुर ने आज सुबह चार बजे से कंपनी के भीतर 70 फिट चिमनी के ऊपर चढ़कर पावर एनर्जी प्रबंधन तथा प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन छेड़ दिया है।
प्रकल्पग्रस्त किसान द्वारा दिए गए जानकारी मे बताया जा रहा है कि वर्ष 2008 में गुप्ता पावर एनर्जी ने पावर प्रोजेक्ट के लिए किसानों से नौकरी कि लालच देकर दलालों के माध्यम से कवडी के दाम से जमीन खरीदी थी। जिसके बाद 2012/2013 में प्रोजेक्ट का काम सुरु हुआ।इस परीयोजना में प्रभावित किसानो के 103 लोगों को नौकरी पर लिया गया था। परंतु कुछ आर्थिक समस्या के कारण सन 2016 में पावर एनर्जी कंपनी बंद हो गई। जिसके बाद प्रकल्पग्रस्त किसानो कि नौकरी भी चली गई।पिडीत किसान किसी तरह मजदुरी में थोडे पैसों से अपना घर परिवार चला रहे थे।
लेकिन बाद में सन 2025 में NCLT के तहत यह कंपनी विदर्भ मिनरल पावर प्रा लिमिटेड कंपनी के नाम से दुबारा सुरु हो गई है। नाम बदलकर सुरू हुई इस विदर्भ मिनरल कंपनी तथा NCLT का कहना है कि हमारे पास सरकारी दस्तावेजों में ऐसे कही भी लिखीत में नही लिखा है कि प्रकल्पग्रस्त को स्थाई रूप में नौकरी पर रखा जाए।वहीं प्रकल्पग्रस्त किसान का मानना है कि गुप्ता पावर एनर्जी सुरु होने पुर्व ही प्रकल्पग्रस्त किसान को नौकरी पर 58 वर्ष तक लेने के लिए लिखीत स्वरूप में समझौता हुआ था।
वही प्रकल्पग्रस्त किसानो का कंपनी प्रबंधन पर आरोप यह लगाया जा रहा है कि पिछले दो-तीन वर्ष से पावर एनर्जी में हक्क कि लडाई और नौकरी के लिए NCLT, लेबर कमिश्नर, शासन प्रशासन,जिल्हाधिस, लोकप्रतिनिधि ,एसडीपीओ ,में पञचार,मिटीग,करके आंदोलन किया गया लेकिन शासन प्रशासन तथा पावर एनर्जी प्रबंधन में कोई सुनवाई नही होने से 18 ऑगस्ट से प्रकल्पग्रस्तो ने कंपनी के खिलाफ धरना पर बैठ गए।
छे दिनों से धरना पर बैठे प्रकल्पग्रस्त को शासन प्रशासन तथा कंपनी प्रबंधन से कोई प्रतिसाद नही मिलने के कारण पिडीत किसानों ने आज पावर एनर्जी कंपनी के अंदर 70 फिट चिमनी में चढ़कर उग्र आंदोलन छेड़ दिया है। प्रकल्पग्रस्त,पिडीत किसानों का कहना हैं कि जब तक पिडीत किसानों को नौकरी पर लेने के लिए शासन प्रशासन तथा पावर एनर्जी कंपनी द्वारा लिखित स्वरूप मे आश्वासन नही दिया जाएगा तब तक हम चिमनी से नीचे नही उतरेंगे जबजस्ती से हमें शासन प्रशासन तथा पावर एनर्जी कंपनी द्वारा कोई दबाव देने पर हम नीचे कुदकर आत्मदहन कर लेंगे।जिसकी जिम्मेदारी पावर एनर्जी कंपनी और शासन प्रशासन कि होगी।
NCLT के तहत यह कंपनी विदर्भ मिनरल पावर प्रा लिमिटेड के नाम से सुरु हो गई है। लेकिन अब कंपनी में अधिकारी का कहना है कि प्रकल्पग्रस्त किसान को ही नौकरी पर लेना हमारी नैतिक जिम्मेदारी नही है।और कही हमारे किसी सरकारी दस्तावेज में लिखीत स्वरूप मे दिया है।
गरीब प्रकल्पग्रस्त किसान पर अब भुखे मरने कि नौबत आ गई है। शासन प्रशासन में निवेदन सौंपकर प्रकल्पग्रस्त में आठ किसानों ने आज तड़के चार बजे से ही कंपनी के भीतर 70 फिट चिमनी में चढ़कर पावर एनर्जी प्रबंधन और शासन प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन छेड़ दिया है। कंपनी द्वारा उनकी मांगे पुरी नही होने चिमनी के ऊपर से नीचे खुदकर आत्मदहन करने की चेतावनी दी गई है। पिछले आठ दस घंटे से प्रकल्पग्रस्त किसान नौकरी के लिए पावर एनर्जी कंपनी में चिमनी के भुखे,प्यासे आंदोलन पर जान को हथेली में रखकर खडे हैं।










