विधायक किशोर जोरगेवार की मध्यस्थता से ” विरुगिरी ” विरोध प्रदर्शन सफलता पूर्वक समाप्त हुआ।

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विधायक किशोर जोरगेवार की मध्यस्थता से ” विरुगिरी ” विरोध प्रदर्शन सफलता पूर्वक समाप्त हुआ।



विधायक जोरगेवार का धरना स्थल पर चार घंटे तक डटे रहे –


कंपनी में 103 परियोजना प्रभावित कामगार 10 सितंबर से अपने काम पर लौटेंगे।


घुग्घुस : गुप्ता पावर एनर्जी प्रा, लिमिटेड कंपनी एवमं
विदर्भ मिनरल्स एंड एनर्जी कंपनी परिसर में आज सुबह चार बजे से 165 मीटर ऊँची चिमनी पर चढ़कर बकाया वेतन और रोज़गार की माँग को लेकर शुरू हुआ परियोजना प्रभावित श्रमिकों का ‘विरुगिरी’ विरोध प्रदर्शन अंततः वापस ले लिया गया।
आज सुबह 11 बजे विधायक किशोर जोरगेवार स्वयं धरना स्थल पर पहुँचे और चार घंटे तक मजदूर के मांग लेकर कंपनी परीसर में बैठे रहे। प्रकल्पग्रस्त किसान मजदूर और कंपनी प्रबंधन के साथ समन्वय स्थापित करते हुए उनकी माँगें पुरी करवाईं। इसके बाद विरोध प्रदर्शन सफलतापूर्वक समाप्त हुआ।
चंद्रपुर विधायक जोरगेवार की मध्यस्थता के बाद कंपनी प्रबंधन 10 सितंबर से छह महीने के लिए ठेके पर 103 परियोजना प्रभावित श्रमिकों को नियुक्त करने पर सहमत हो गया। छह महीने बाद सभी परियोजना प्रभावित श्रमिकों को स्थायी रूप से समायोजित करने पर भी सहमति बनी। विधायकों की उपस्थिति में कंपनी प्रबंधन द्वारा इस संबंध में लिखित गारंटी दिए जाने के बाद आंदोलनकारियों ने अपना विरोध वापस ले लिया। विधायकों ने मजदूरों के साथ अन्याय नहीं होने देने की बात कहते हुए कंपनी प्रबंधन को साफ शब्दों में कहा और समाधान निकलने तक धरना स्थल से एक कदम भी पीछे नहीं हटा।
इस अवसर पर बैठक में राजस्व विभाग के उपविभागीय अधिकारी संजय पवार, उपविभागीय पुलिस अधिकारी सुधाकर यादव, तहसीलदार ओंकार ठाकरे, घुग्घुस थानेदार प्रकाश राऊत, कंपनी प्रबंधन आशीष नाराल, दीपक गुप्ता, भाजपा नेता नामदेव दाहुले, मजदूर नेता प्रवीण लांडगे, महासचिव मनोज पाल, घुग्घुस भाजपा शहर अध्यक्ष संजय तिवारी, रवि गुरनुले, दशरथसिंह ठाकुर, प्रवीण गिलबिले, मुन्ना लाधे, देवानंद वधाई, उसगांव के सरपंच तेंदर ठाकरे, उपसरपंच मंगेश असुतकर, मंडल अध्यक्ष विनोद खेवले, धनंजय ठाकरे, इमरान खान, आशीष माशिरकर, संजय नून, स्वप्निल वधाई, राजकुमार गोडसेलवार, महेश लड्ढा, दत्तू जोगी आदि उपस्थित थे.
ज्ञात हो कि 2008 में गुप्ता एनर्जी कंपनी ने उसगाँव क्षेत्र में एक परियोजना के निर्माण के लिए 103 किसानों की ज़मीन सस्ते दामों में दलाल के माध्यम से नौकरी का लालच देकर भुमी अधिग्रहित की थी। इसके बदले में उन्हें कंपनी में कुछ वर्ष तक स्थायी रोज़गार दिया गया था। लेकिन आर्थिक परीस्थिती से कंपनी 2015-16 में अचानक बंद हो गई। 2017 में पुरी तरह से बंद घोषित कर दी गई।
जिसके कारण प्रकल्पग्रस्त किसानों का वेतन कंपनी में बकाया रहे गया। इसके बाद NCLT के तहत गुप्ता एनर्जी कंपनी का प्रबंधन ने विदर्भ मिनरल्स एंड एनर्जी कंपनी को सौंप दिया गया।
इसके बाद कंपनी दुबारा शुरू होने पर परियोजना पीड़ितों को रोज़गार देने का वादा पावर एनर्जी प्रबंधन ने किया था।
लेकिन अब सन 2025 में पावर एनर्जी कंपनी सुरु हो गई है। प्रकल्पग्रस्त किसान द्वारा शासन प्रशासन तथा कंपनी प्रबंधन में ज्ञापन सौंपने बाद भी नौकरी पर नही लिया जा रहा।उल्टे बाहरी राज्य से आनेवाले मज़दूरों को काम पर रखने की प्रक्रिया शुरू हो गई।
जिससे परियोजना पीड़ितों में रोष फैल गया। अंततः 23 अगस्त को विजयक्रांति मज़दूर संघ के प्रवीण लांडगे के मार्गदर्शन में आठ परियोजना पीड़ित महेंद्र वडसकर, भरत खनके, सुधाकर काले, सुरेंद्र विके, रमेश सोनेकर, अनिल निखाड़े, सुनील जोगी और उमाकांत देठे, आधी रात को चिमनी पर चढ़ गए और अपनी जान जोखिम में डालकर ‘विरुगिरी’ आंदोलन शुरू कर दिया।
स्थिति गंभीर होते देख विधायक किशोर जोरगेवार धरना स्थल पर पहुँचे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और कंपनी प्रबंधन को बातचीत के लिए बुलाया। यह भूमिपुत्रों की ज़मीन है। उन्होंने परियोजना के लिए अपने घर और खेत दिए हैं। विधायक जोरगेवार ने कंपनी प्रबंधन को कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि मज़दूरों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। विधायकों के दृढ़ रुख़ और मध्यस्थता के कारण बातचीत सफल रही। आखीरकार विधायक जोरगेवार ने कंपनी परीसर में चार घंटे बैठकर अपनी माँगें मनवाने के बाद आंदोलनकारियों ने आखिरकार अपना आंदोलन वापस लेने की घोषणा की है। इसके बाद आंदोलन सफलतापूर्वक समाप्त किया गया।

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