साइडिंग की शर्त, टेंडर बेनकाब

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साइडिंग की शर्त, टेंडर बेनकाब

-वॉशरियों की कारस्तानी पर भी लग गई मुहर
-तस्वीर साफ, अधिकारियों के इरादे नहीं नेक
-मलाई के लिए किसी एक के लिए भलाई

गहरी छानबीन की गई, तो खुल सकता है सारा भेद

चंद्रपुर.
महाजेनको की ओर से बीते 25 सितंबर 2024 को कोयला परिवहन के लिए निकाले गए टेंडर ने एक साथ कई चेहरे बेनकाब किए हैं। एक तरफ जहां खास चेहरे को फायदा पहुंचाने की कोशिशें नजर आ रही हैं, तो दूसरी ओर वॉशरियों में कोयले की मिलीभगत का खेल सामने आ रहा है। दोनों ही स्थिति में फजीहत महाजेनको के अधिकारियों की ही हो रही है।
…तो क्या वॉशरियों पर भरोसा नहीं रहा
टेंडर में वॉशरियों को किनारा करने के लिए थोपी गई शर्त अनेक सवालों को जन्म दे रही है। शर्त के अनुसार, इस टेंडर में किसी भी वॉशरिज के मालिक या उसे चलाने वाले भाग नहीं ले सकते। तो अहम सवाल यह कि क्या महाजेनको को वॉशरियों पर भरोसा नहीं रहा, जबकि महाजेनको इन वॉशरियों से ही 10 लाख मीट्रिक टन कोयला लेती है। उक्त टेंडर के अनुसार, कोयला परिवाहन का काम इन वॉशरियों को दिया जा सकता था, लेकिन उन्हें जान-बूझकर किनारे कर दिया गया है। जानकार इसे रकम से जोड़ देख रहे हैं। कयास है कि संभवत: ये वॉशरियां उतनी जेब नहीं गर्म कर पा रही होंगी, जितनी मिलीभगत के लिए चाहिए।
फर्जी संस्थाओं के कागजात होने की आशंका
वास्तव में इस टेंडर का पूरा खेल न तो वॉशरियों को ध्यान में रखकर खेला जा रहा है और न ही सरकार के राजस्व का ख्याल रखा जा रहा है। पूरी सेटिंग खास चेहरे के लिए खास लोगों की मिलीभगत से किया जा रहा है। टेंडर में बहुवैकल्पिक प्रणाली को धता बताते हुए फर्जी संस्थाओं के कागजात दिखावे को लिए जोड़ दिए जाते हैं। इस टेंडर की भी गहरी छानबीन की गई, तो सारा मामला सामने आ सकता है।
रणनीति अब शीशे की तरह साफ
टेंडर की शर्त में स्पष्ट लिखा है कि बिडर के पास खाली साइडिंग होनी चाहिए। तो बड़ा सवाल? फिलहाल रेलवे साइडिंग से जो कोयला महाजेनको को दिया जा रहा है, वह उसका नहीं। या फिर मिक्सिंग की डर से महाजेनको नई साइडिंग को तवज्जो दे रही है। दरअसल, ये सब कयास भी निर्मूल है, क्योंकि टेंडर की शर्तों के अनुसार पैनगंगा माइंस से 50 किलोमीटर के दायरे में खाली साइडिंग सिर्फ एक ही है और यह सब रणनीति उसी के लिए है।
कुल 6 साइडिंग और 5 खाली नहीं
इस दायरे में यों तो कुल 6 साइडिंग है- तडाली, वणी गुड शेड, राजुरा, विमला, गड़चांदूर, घुग्गुस साखरवाई रोड वाली साइडिंग। इनमें 5 टेंडर में दी गई अवधि तक के लिए खाली नहीं। अब एक नाम को किनारा करना कोई मुश्किल नहीं। यही वह कंपनी है, जिसके लिए स्पेशल शर्तों के साथ टेंडर निकाला गया है। घुग्घुस परिसर के महतरदेवी- बेलसनी गांव की ओर नई रेलवे साइडिंग का नाम इस कारण सुर्खियों में है। कहा जाता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से यह काम एमपीसीबी के नियमों की धज्जियां उड़ाकर किया गया।
पग-पग पर बड़ा खेल
वास्तव में कोयला परिवहन करने के मामले में बड़ा खेल होता है। कांटा पर कोल वाहन कमीशन के खेल में ओवरलोड से लेकर मामूली पंजीयन की आड़ में हजारों कोल वाहनों से परिवहन का खेल अधिकारी व ट्रांसपोर्टरों की मिलीभगत से चलता है। इससे करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होता है। प्रशासन व एनजीटी के आदेश की धज्जियां उड़ाई दी जाती है। कोयले की धूल में कारगुजारी करने वाले सब कुछ भूल जाते हैं।
सरकारी राजस्व को चूना
वादे के अनुसार, खबरों की तह में जाकर छिपे मंसूबे को उजागर करना सजग प्रहरी के रूप में ‘ मिडीया अपना फर्ज समझता है। आमतौर पर होना यह चाहिए कि कोई भी सरकारी टेंडर किसी निजी व्यक्ति या संस्थान की सेवा के लिए नहीं निकले या फायदा न पहुंचे। इससे सरकारी राजस्व को भारी क्षति पहुंचती है और मिलीभगत के खेल को बढ़ावा मिलता है। उक्ताशय से निकाले गए टेंडर की पूरी तरह छानबीन होनी चाहिए, अन्यथा अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। ये पब्लिक है…सब जानती है।
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