सरदार पटेल महाविद्यालय चंद्रपुर में पीएम ऊषा योजना के तहत अनुवाद प्रविधि एवं अनुवाद कला पर सर्टिफिकेट कोर्स संपन्न
चंद्रपुर, अगस्त 2025: सरदार पटेल महाविद्यालय, चंद्रपुर के हिंदी विभाग द्वारा पीएम ऊषा योजना के अंतर्गत जागरूकता प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत “अनुवाद प्रविधि एवं अनुवाद कला” विषय पर 14 जुलाई से 19 जुलाई 2025 तक एक सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन किया गया। इस कोर्स में बी.ए., बी.कॉम., बी.एससी., और एम.ए. हिंदी के 25 से अधिक विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की और अनुवाद की तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया। कार्यक्रम में प्रख्यात वक्ताओं डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी, श्री आनंद सिंगितवार, श्री विनोद यादव, श्री पंकज मोहरीर और श्री मुरली मनोहर व्यास ने अपनी विशेषज्ञता से विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत हिंदी विभाग की प्राध्यापिका डॉ. सुनीता बनसोड ने प्रस्तावना के साथ की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा, “अनुवाद केवल भाषा का स्थानांतरण नहीं, बल्कि संस्कृति, भावनाओं और विचारों का संप्रेषण है। यह कोर्स विद्यार्थियों को अनुवाद की बारीकियों से परिचित कराकर उनके संचार और विश्लेषणात्मक कौशल को बढ़ाएगा।”
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पी. एम. काटकर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “आज के समय में अनुवाद का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। यह केवल भाषाई कौशल का अभ्यास नहीं, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का सेतु है। यह कोर्स विद्यार्थियों को अकादमिक और व्यावसायिक जीवन में नए अवसर प्रदान करेगा। महाविद्यालय सदैव विद्यार्थियों के व्यक्तित्व और कौशल विकास के लिए इस प्रकार की योजनाओं को प्रोत्साहित करता रहेगा।”
डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी ने अपने सत्र में अनुवाद को एक सृजनात्मक कला के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने कहा, “अनुवादक एक सेतु की तरह है, जो दो भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ता है। इसके लिए भाषा की गहरी समझ और सांस्कृतिक संवेदनशीलता आवश्यक है।” उन्होंने विद्यार्थियों को साहित्यिक और तकनीकी अनुवाद की बारीकियों से अवगत कराया।
श्री आनंद सिंगितवार ने अनुवाद में भाषा की शुद्धता और संदर्भ के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “अनुवाद में मूल पाठ का भाव बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए अनुवादक को दोनों भाषाओं में समान दक्षता और संदर्भ की समझ होनी चाहिए।” उन्होंने विद्यार्थियों को शब्द चयन और वाक्य संरचना की तकनीकों का प्रशिक्षण दिया।
श्री विनोद यादव ने अनुवाद में व्यावहारिक दृष्टिकोण पर बल दिया। उन्होंने कहा, “अनुवाद एक कला होने के साथ-साथ एक पेशा भी है, जो वैश्विक संचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुवादक को समयबद्धता और सटीकता का ध्यान रखना होता है।” उन्होंने तकनीकी, साहित्यिक और मीडिया अनुवाद के विभिन्न पहलुओं पर व्यावहारिक सुझाव दिए।
श्री पंकज मोहरीर ने अनुवाद में रचनात्मकता और नवाचार पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “अनुवादक को मूल पाठ के भाव को नई भाषा में जीवंत करना होता है, जो एक रचनात्मक प्रक्रिया है।” उन्होंने विद्यार्थियों को काव्यात्मक और सांस्कृतिक अनुवाद की चुनौतियों और समाधानों से परिचित कराया।
श्री मुरली मनोहर व्यास ने अनुवाद के सामाजिक और शैक्षिक महत्व पर जोर देते हुए कहा, “अनुवाद ज्ञान के प्रसार और विभिन्न समुदायों के बीच समझ को बढ़ावा देता है। एक अच्छा अनुवादक समाज को समृद्ध करने में योगदान देता है।” उन्होंने विद्यार्थियों को अनुवाद के नैतिक पहलुओं और सांस्कृतिक संवेदनशीलता पर ध्यान देने की सलाह दी।
संस्था के अध्यक्ष श्री नामदेवराव पोरेड्डीवार ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा, “अनुवाद के क्षेत्र में दक्षता प्राप्त करना विद्यार्थियों के लिए भविष्य के अनेक अवसरों के द्वार खोलता है। यह प्रयास न केवल अकादमिक दृष्टि से उपयोगी है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। संस्थान इस प्रकार के कौशल आधारित कोर्स को आगे भी प्रोत्साहित करता रहेगा।”
कार्यक्रम के समापन पर डॉ. शैलेन्द्र कुमार शुक्ल ने आभार प्रदर्शन करते हुए सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों और आयोजन समिति के सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह कोर्स विद्यार्थियों के लिए अनुवाद के क्षेत्र में नए अवसर खोलने वाला साबित हुआ, जिसने उनके भाषायी और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारा।”
आयोजन की सफलता में प्राध्यापिकाओं प्रा. रीता पाठक, प्रा. प्रणिता गडकरी, प्रा. माधुरी कटकोजवार, प्रा. अश्विनी शाकीनाला और शैलजा ठमके का सक्रिय सहयोग उल्लेखनीय रहा। इनके प्रयासों से कार्यक्रम का सुचारू संचालन और विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन संभव हुआ।
प्रतिभागी विद्यार्थियों ने इस कोर्स को अत्यंत उपयोगी बताते हुए कहा कि इससे उन्हें अनुवाद की तकनीकों के साथ-साथ आत्मविश्वास और नेतृत्व कौशल में भी वृद्धि हुई। समापन समारोह में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए।
यह कोर्स पीएम ऊषा योजना के तहत शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे भविष्य में भी जारी रखने की मांग की।










